Saturday, May 9, 2020

Lockdown poem


उम्मीद

उम्मीद ना थी कि ऐसा होगा,
हर इंसान घर में बंद होगा
जिस काम को करने जाया करते थे बाहर
अब वह काम भी घर में होगा
उम्मीद ना थी कि ऐसा होगा,
हर कोई रहता था घर वालों से दूर
अब घर वालों के संग रहना होगा
उम्मीद ना थी कि ऐसा होगा,
मनचाही जिंदगी जी रहे थे सब यहां
आप जीवन सबका सरल होगा
उम्मीद ना थी कि ऐसा होगा,
दुआ मांगने सब जाया करते थे, मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा
अब दरवाजा सबके लिए बंद होगा
उम्मीद ना थी कि ऐसा होगा,
आएगी महामारी एक, सबका जीवन भूकंप होगा
उम्मीद ना थी पूरा देश लॉक डाउनलोड होगा !





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